Monday, August 17, 2009

याद मुझे वो आते है

खेल खेल में , राग द्वेष में
जाने कितने लोग मिले ,
कुछ लोगो ने पागल समझा
कुछ लोगो से स्नेह मिले
कुछ दिल की बात दबा होठो पर
आहें भर कर मान दिया
कब मैंने उनसे नेह किया
जीवन भर उनको कस्ट दिया
बहती हुई सरिता दिखा
दो बूँद जल का दान किया
कितनो के संग कितने सपने
दिन और रात के देखे हमने
उनमे कितने भूल गए हम
कितनो ने दम तोडा मन में
जिनको थे हम भूल चुके
याद हमें वो आते है
जिनका हमने दामन छोड़ा
संग संग मेरे गाते है
काश की मै समझ ये पाता
कयूं अपनों से वो लगते है
हाथ बढाकर जिनको हमने
बीच नदी में छोड़ दिया
आज खडे हो तट पर हम
उन्ही को पुकारा करते है

5 comments:

  1. man..i loved this.
    didnt know u write such nice poems. keep writing

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  2. Amazing piece of literature.....very touching

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  3. bahut khoob bhai... kya likha hain..(abhishek)

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  4. dushto ki dunia mai aap ka kar rahe hoo

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